77 की उम्र में भी महातपस्वी आचार्य विद्यासागर जी का पद विहार जारी

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77 की उम्र में भी महातपस्वी आचार्य विद्यासागर जी का पद विहार जारी

 77 की उम्र में भी महातपस्वी आचार्य विद्यासागर जी का पद विहार जारी

माँ नर्मदा के प्रकट स्थल पर होगी आचार्य श्री विद्यासागर जी महाराज की भव्य अगवानी।



Dharm adhyatm. जिस संसार में लोग एक से बढ़कर एक पकवान स्वदिष्ट भोजन शरीर की ऊर्जा के लिए फल फूट जूस आदि खाते पीते रहते हैं गर्मियों में कूलर एसी सर्दियों में रजाई गद्दे गर्म कपड़ों के बिना नहीं रहते बिना वाहन के कहीं जा नहीं सकते और संसार की हर सुख सुविधा के बाबजूद पचास साठ साल की उम्र में ही तरह तरह की बीमारियों से घिरकर बिस्तर पकड़ लेते हैं ऐसे संसारी प्राणीयो को सबक देते जैन धर्म के महान तपस्वी आचार्यश्री विद्यासागरजी महामुनिराज पंचेन्द्रियों पर विजय प्राप्त कर आत्मा से शरीर चलाकर 77 साल की उम्र में भी पद विहार कर रहे हैं, आचार्यश्री विद्यासागरजी ससंघ इन दिनों छत्तीसगढ़ से मध्यप्रदेश की पावन पवित्र भूमि माँ नर्मदा के उद्गम स्थल अमरकंटक की ओर पद विहार कर रहे है, दिगंबर जैन धर्म के महान तपस्वी आचार्यश्री विद्यासागरजी के बारे में यह जानना भी जरूरी है कि वह चौबीस घण्टे में विधिपूर्वक एक ही बार सुबह आहार ग्रहण करते है और आहार में न तो नमक लेते है न हरि सब्जियां न कोई फल फूट न फलों का जूस लेते न ही दही मसाला तेल आदि लेते है बीते करीब पांच दशक सेशकर का भी उनका त्याग है आचार्य श्री पानी में उबली दाल और रोटी का नीरस आहार ग्रहण करते है। और उसी समय छना हुआ उबला जल लेते हैं ओर कुछ दिन के अंतराल में उपवास भी करते हैं, जैनाचार्य विद्यासागर जी सूर्योदय से सूर्यास्त के पूर्व तक ही पद विहार करते हैं मँगे पैर कंकड़ पत्थर कांटो भरे रास्ते में चलने से उनके तलुबो से रक्त तक निकलने लगता है बाबजूद वह हंसते मुस्कुराते तीव्र गति से पद विहार करते रहते है, पद विहार के दौरान जहां भी रास्ते में सूर्यास्त हुआ वही ठहर जाते हैं फिर चाहे घनघोर जंगल ही क्यों न हो, जैनाचार्य लकड़ी के पाटे पर बिना कुछ ओढ़े बिछाए ही एक ही करवट में मात्र दो घण्टे रात्रि विश्राम करते है। कूलर पंखा एसी में कभी नहीं रहते न ही कभी शरीर पर तेल साबुन आदि लगाते तब भी तप के प्रभाव से उनकी देह चंदन की तरह चमकती हैं, कर्नाटक प्रान्त के बेलगांव जिले के सदलगा गांव में शरद पूर्णिमा की रात दस अक्टूबर 1946 को जन्में आचार्य श्री विद्यासागरजी 77 साल की उम्र में भी पद विहार में इतने तेज गति से चलते हैं कि साथ चलने वाले समाज के लोगो पीछे दौड़ते दिखाई देते है ।

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