इस नवरात्रि नौका पर सवार होकर आएंगी मां दुर्गा जानें शुभ मुहूर्त कमलेश कृष्ण शास्त्री के साथ।
बाईस मार्च से तीस मार्च तक मां दुर्गा के भक्ति पर्व चैत्र नवरात्रि की धूम रहेगी।
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कमलेश कृष्ण शास्त्री |
Chaitra Navratri festival 2023। इस साल चैत्र नवरात्र की शुरुआत बाईस मार्च से होगी, जो तीस मार्च तक रहेगी। साथ ही तीस मार्च को श्रीराम नवमी भी मनाई जाएगी। हिंदू धर्म में नवरात्रि को बेहद पवित्र माना गया है। नवरात्रि के दौरान मां दुर्गा के नौ स्वरूपों की विधि-विधान से पूजा-अर्चना करने से विशेष फलों की प्राप्ति होगी है।
इस बार की चैत्र नवरात्रि को बेहद ही खास माना जा रहा है क्योंकि, ये पूरे नवदिवसीय होगी। इस बार मां दुर्गा का आगमन नाव यानी नौका पर हो रहा है। जबकि, नवरात्रि की समाप्ति पर मां हाथी पर सवार होकर वापस जांएगी। चौघड़िया मुहूर्त अनुसार घट स्थापना का उत्तम मुहूर्त बाईस मार्च को सुबह 6.25 से लेकर शाम तक रहेगा। यह मुहूर्त सरकारी, गैर सरकारी, नौकरी पेशा लोगों व बीमारी से ग्रस्त व्यक्तियों के लिए अति शुभ फलदायक है, कलश को सुख-समृद्धि और ऐश्वर्य का प्रतीक माना गया हैं
कलश स्थापना की विधि
पंडित कमलेश कृष्ण शास्त्री के अनुसार कलश स्थापना के लिए सूर्योदय से पहले उठें व स्थान कर साफ कपड़े पहनें। फिर चौकी पर लाल रंग का कपड़ा बिछाकर माता रानी की प्रतिमा(चित्र) स्थापित करें। इस कपड़े पर थोड़े अक्षत (चावल) रखें। एक मिट्टी के पात्र में जौ बो दें। इस पात्र पर जल से भरा हुआ कलश स्थापित करें। कलश पर स्वास्तिक बनाकर इसपर कलावा बांधे। कलश में साबुत सुपारी, सिक्का और अक्षत (चावल) डालकर अशोक या आम के पत्ते रखें। एक श्रीफल (नारियल) लें और उस पर चुनरी लपेटकर कलावा से बांधे।
मिलता है अखंड सौभाग्य का वरदान
इस नारियल को कलश के ऊपर रखते हुए देवी दुर्गा का आवाहन करें। इसके बाद दीप जलाकर कलश की पूजा करें। नवरात्रि पूजन में देवी की पूजा के लिए सोना, चांदी, तांबा, पीतल व मिट्टी का कलश स्थापित किया जाता है। बता दें कि घरों में कुल देवी की पूजा कर लाल चूनरी जरुर अर्पित करें। इससे अखंड सौभाग्य का फल मिलता है।
सूर्यास्त के समय तिल के तेल का अथवा धी का दीपक प्रज्जवलित करें। लाल अथवा पीले वस्त्र के आसन पर बैठकर सिद्ध कुंजिका स्तोत्र का पाठ करें। सिर्फ सिद्ध कुंजिका स्तोत्र के पाठ से ही पूरे सप्तशती दुर्गा पाठ का लाभ मिलता है।
चमत्कारिक रूप से दूर होंगे कष्ट
यदि पाठ ना कर पाएं, तो ओम ऐं ह्रीं नम: का 108 बार जाप करें चमत्कारिक रूप से कष्ट दूर होंगे।
नौ कन्याओं के पूजन का महत्व
काली शंख, लक्ष्मी शंख व सरस्वती शंख में रात में जल भरकर अगली रात में घर के मुख्य द्वार पर छिड़कने से आर्थिक, शारीरिक कष्ट दूर होते हैं और घर में छात्रों को लाभ की प्राप्ति होती है। इसके अलावा नौ कन्याओ के पूजन का भी विशेष महत्व है।
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